भारत में लोग दोबारा हो रहे हैं कोरोना संक्रमण के शिकार, इस बार है अधिक खतरनाक
सेहतराग टीम
भारत में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार कोरोना के संक्रमित नए मामले आ रहे हैं। साथ ही अबतक हजारों की संख्या में लोगों की मौत भी हो चुकी है। अब कोरोना और भी खतरनाक हो रहा है। दरअसल एक शोध में सामने आया है कि भारत समेत दुनिया के कई देशों में जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं, उन लोगों में कोरोना का संक्रमण दोबारा हो रहा है और इस बार यह ज्यादा खतरनाक है।
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कुछ ऐसा ही मामला मुंबई में आया, जहां 4 स्वास्थ्यकर्मियों को ठीक होने के बाद दोबारा कोरोना का संक्रमण हो गया। साथ ही गौर करने वाली बात यह है कि इस बार के संक्रमण में लक्षण पहले के संक्रमण के लक्षण ज्यादा थे।
मेडिकल जर्नल 'द लांसेट' में प्रकाशित एक शोध के अनुसार उन्हें इस बार पहले भी अधिक गंभीर स्थिति के कोरोना वायरस संक्रमण ने जकड़ा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि चार में से तीन मरीज बीएमसी के नायर अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मी हैं।
एक हिंदुजा अस्पताल का है। यह शोध दोनों अस्पतालों के साथ मिलकर इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंट्रिगेटिव बॉयोलॉजी और दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (ICGEB) ने मिलकर किया है. शोध में 8 जीनोम में 39 म्यूटेशन पाए गए हैं।
नायर अस्पताल की डॉक्टर जयंती शास्त्री और ICGEB की डॉ. सुजाता सुनील के अनुसार जिन चार स्वास्थ्यकर्मियों को दोबारा कोरोना वायरस संक्रमण हुआ, उनकी हालत पहले से अधिक खराब थी। उनमें पहले से अधिक गंभीर कोरोना वायरस के लक्षण थे। चारों की हालत नाजुक थी।
डॉक्टर के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण पहली बार में हल्का या बिना लक्षण वाला होता है। लेकिन जब ये दूसरी बार होता है तो हालत काफी खराब होती है। ऐसा ही चारों स्वास्थ्यर्मियों के साथ हुआ। उन्हें अस्प्ताल में भर्ती कराया गया था।
डॉक्टर्स फॉर यू आर्गेनाइजेशन के प्रेजिडेंट डॉक्टर रजत ने दोबारा संक्रमण होने की वजह बताई। उन्होंने कहा, दोबारा संक्रमण के कई कारण है। दरअसल कोरोना से लड़ने के लिए हमारी बॉडी में जो एंटी बॉडी बनती है वो परमानेंट नहीं होती जब वो एंटीबॉडीज़ ख़त्म हो जाते हैं तब दोबारा इन्फेक्शन होने के चांस भी होते है।
डॉक्टर के मुताबिक कोरोना वायरस का दूसरी बार हुआ संक्रमण आरटी पीसीआर में सामने नहीं आता है। पूरे जीनोम सिक्वेंसिंग से ही इसका पता चलता है. राहत भरी बात यह थी कि चारों ही स्वास्थ्यकर्मियों में दोबारा संक्रमण होने पर उनके लोवर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में सांस संबंधी तकलीफ नहीं हुई थी। डॉक्टर के अनुसार इस शोध के जरिये कोरोना वायरस संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करने का मकसद था।
वहीं लोगों कि लापरवाही पर डॉक्टर कहतें हैं, जो लोग एक बार पुराना से संक्रमित होने के बाद ठीक हो जाते हैं वह लापरवाही करने लग जाते हैं। लेकिन साफ है कि पुराना में दोबारा भी संक्रमित कर सकता है ऐसे में सारे बचाव लेने चाहिए।
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